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Thursday, March 9, 2017

अनजानी सी ...

अनजानी सी ...


कुछ खोई खोई
अपने सपनों में
अपनी मुश्कान में
अपने ही ख्यालों में
आवाज में वह नमी है
और पहचान भर बातें
दूर से छूती है दिल को
और लहराते बालो को सँभालते
गुजर जाती है
अपनी एक अंजान पहचान छोड़ कर
कोई नाम नहीं
कोई अनाम भी नहीं
कुछ सुहाने लम्हों को छोड़ जाती है वह .....
-
Haresh Parmar

तेरे घर में अँधेरा था

तेरे घर में अँधेरा था
उसमें उजाला करने तू सरहद गया |
इस देश में आज 
सत्ता पर बैठे लोगों ने उस उजाले को ही देखा
उस अँधेरे को नहीं - जिस अँधेरे को तूने भोगा था
आज वही अँधेरा फिर उस घर में आ गया
जब आज तुम नहीं रहे इस देश को रोशन करने के लिए .... |
- हरेश परमार

देश के लिये....

जब एक फैसला हुआ
उस दिन एक बुजुर्ग की नजर में चमक दिखी थी
दुसरे दिन बेंको में अपने नोट जो कुछ ही दिन पहले निकले थे
बदलने गए
उनका बीपी बस बढ़ने लगा था...
वह तो देश को अपने सीने में बसा के आया था
पर जब अपने आस-पास देखा
बूढ़े-गरीब अपना काम छोड़कर अपने लिए खड़े थे
देश के नाम पर
मैं सोचते हुए आगे बढा ही था
बैंक में पैसे ख़त्म...
धुप बढ़ रही थी
लाइन बढ़ रही थी
पसीने बह रहे थे
लोगों के चहेरे पर बैचेनी-चिंता की लकीरे बढ़ रही थी
जो मैंने कल एक चिंगारी देखी थी
चमक मेरे चेहरे पर आई थी
वह बेजान बन चुकी थी
अब बस उन लोगों के चेहरे और उसमें मौत साफ़ दिख रही थी
अपने हाथों में रहे नोट कांपने लगे
दिल की धड़कन थम गई...
पर शहीदी उनके लिए बहुत दूर की बात थी
देश के लिये....

गुल्लक

हमारे छोटे दोस्त ने एक दिन बड़ी नोट फाड़ के कहा था की ऐसी नहीं कुछ अच्छी नोट दो... तब हँसते हुए उनके पापा ने उसे गुल्लक में डालने के लिए 10 की नोट दी थी. जब उनकी मम्मी चिल्लाई थी तब उसने कहा था... बच्चा ही तो है... बचपन की यादे कभी तजा हो जायेगी की उसने बचपने में 500 की नोट फाड़ दी थी... आज वह गुल्लक भी उनके बचपन में ही टूटा...

आंसू

आंसू

आपने रोहित वेमुला की माँ की आँखों में आंसू देखे थे ?
आपने नजीब की माँ की आँखों में भी आंसू देखे थे ?
पर आपको वह नजर नहीं आये ...
वह नेता नहीं थे
वह नेताओं के पुत्र-पौत्र नहीं थे...
आपने उस उना काण्ड में मार खाने वालों के भी आंसू देखे थे
आपको उस वक्त क्या लगा था ?
आपने जब वह फैसला आया
जब देश में आप जो रूपये गर्व से रखते थे
वह रात भर में रद्दी हो गए
आप आंसू को भूल गए या वह आंसू कभी आपको आंसू ही नहीं लगे !
पर उस अराजकता के माहौल में
कुछ 25 जाने जा चूकी है
देश के लिए ...
और उन लोगों के घरों में भी आंसू है
पर कोई अलगारी आता है विदेश छे
वहां हँसता है आप पर
और आके आपके लिए ही रो देता है
आप वह देखते हो
आप जूनून से भर जाते हो
और वह सब आंसू जैसे सूख जाते है
देश के लिए वह बेजान से आंसू
देश की धरती पर कही दफ़न हो जाते है
कहीं जल जाते है
तो कही भुलाए जाते है
#देश के लिए
- हरेश परमार

उनिंदी आँखे ....

उनिंदी आँखे ....

कुछ पल के लिए ही सही 
वह दर्द ना हो
बस कुछ पल के लिए ही
शुकून की नींद
शुकून की सांसे ....
उम्मीद भरे सपने
और न भूलने की रश्मे....
कुछ पल के लिए ही सही
वह अँधेरा घना हो
सितारों भरी राते ...
खामोश सी हवा
और
सुरीली बातें ...
उनिंदी आँखे ....

मरते नहीं है रोहित

संघर्ष है जी जान से 
जय भीम है ईमान से
ना कोई तोड़ पाया है
ना कोई तोड़ पायेगा
जय भीम की राहों में मुश्किलें पग-पग जहान है...
तुमने जो तोडा हौसला
फिर से जुड़ आया है
मरते नहीं है रोहित
शहीद हो के जय भीम से मशाल हो पाया है